ترجمة معاني سورة:
الكهف
آية:
سورة الكهف - सूरा अल्-कह्फ़
ٱلۡحَمۡدُ لِلَّهِ ٱلَّذِيٓ أَنزَلَ عَلَىٰ
عَبۡدِهِ ٱلۡكِتَٰبَ وَلَمۡ يَجۡعَل لَّهُۥ عِوَجَاۜ
सब प्रशंसा उस अल्लाह के लिए है, जिसने अपने भक्त पर ये पुस्तक उतारी और उसमें कोई टेढ़ी बात नहीं रखी।
التفاسير العربية:
قَيِّمٗا لِّيُنذِرَ بَأۡسٗا شَدِيدٗا مِّن
لَّدُنۡهُ وَيُبَشِّرَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ ٱلَّذِينَ يَعۡمَلُونَ
ٱلصَّـٰلِحَٰتِ أَنَّ لَهُمۡ أَجۡرًا حَسَنٗا
अति सीधी (पुस्तक), ताकि वह
अपने पास की कड़ी यातना से सावधान कर दे और ईमान वालों को जो सदाचार करते
हों, शुभ सूचना सुना दे कि उन्हीं के लिए अच्छा बदला है।
التفاسير العربية:
مَّـٰكِثِينَ فِيهِ أَبَدٗا
जिसमें वे नित्य सदावासी होंगे।
التفاسير العربية:
وَيُنذِرَ ٱلَّذِينَ قَالُواْ ٱتَّخَذَ ٱللَّهُ وَلَدٗا
और उन्हें सावधान करे, जिन्होंने कहा कि अल्लाह ने अपने लिए कोई संतान बना ली है।
التفاسير العربية:
مَّا لَهُم بِهِۦ مِنۡ عِلۡمٖ وَلَا
لِأٓبَآئِهِمۡۚ كَبُرَتۡ كَلِمَةٗ تَخۡرُجُ مِنۡ أَفۡوَٰهِهِمۡۚ إِن
يَقُولُونَ إِلَّا كَذِبٗا
उन्हें इसका कुछ ज्ञान है और न उनके पूर्वजों को। बहुत बड़ी बात है, जो उनके मुखों से निकल रही है, वे सरासर झूठ ही बोल रहे हैं।
التفاسير العربية:
فَلَعَلَّكَ بَٰخِعٞ نَّفۡسَكَ عَلَىٰٓ
ءَاثَٰرِهِمۡ إِن لَّمۡ يُؤۡمِنُواْ بِهَٰذَا ٱلۡحَدِيثِ أَسَفًا
तो संभवतः आप इसके पीछे अपना प्राण खो देंगे, संताप के कारण, यदि वे इस ह़दीस (क़ुर्आन) पर ईमान न लायें।
التفاسير العربية:
إِنَّا جَعَلۡنَا مَا عَلَى ٱلۡأَرۡضِ زِينَةٗ
لَّهَا لِنَبۡلُوَهُمۡ أَيُّهُمۡ أَحۡسَنُ عَمَلٗا
वास्तव में, जो कुछ धरती के ऊपर है, उसे हमने उसके लिए शोभा बनाया है, ताकि उनकी परीक्षा लें कि उनमें कौन कर्म में सबसे अच्छा है?
التفاسير العربية:
وَإِنَّا لَجَٰعِلُونَ مَا عَلَيۡهَا صَعِيدٗا جُرُزًا
और निश्चय हम कर देने[1] वाले हैं, जो उस (धरती) के ऊपर है, उसे (बंजर) धूल।
1. अर्थात प्रलय के दिन।
التفاسير العربية:
أَمۡ حَسِبۡتَ أَنَّ أَصۡحَٰبَ ٱلۡكَهۡفِ
وَٱلرَّقِيمِ كَانُواْ مِنۡ ءَايَٰتِنَا عَجَبًا
(हे नबी!) क्या आपने समझा है कि गुफा तथा शिला लेख वाले[1], हमारे अद्भुत लक्षणों (निशानियों) में से थे[2]?
1. कुछ भाष्यकारों ने लिखा है कि "रक़ीम" शब्द जिस
का अर्थ, शिला लेख किया गया है, एक बस्ती का नाम है। 2. अर्थात आकाशों तथा
धरती की उत्पत्ति हमारी शक्ति का इस से भी बड़ा लक्षण है।
التفاسير العربية:
إِذۡ أَوَى ٱلۡفِتۡيَةُ إِلَى ٱلۡكَهۡفِ
فَقَالُواْ رَبَّنَآ ءَاتِنَا مِن لَّدُنكَ رَحۡمَةٗ وَهَيِّئۡ لَنَا مِنۡ
أَمۡرِنَا رَشَدٗا
जब नवयुवकों ने गुफा की ओर शरण
ली[1] और प्रार्थना कीः हे हमारे पालनहार! हमें अपनी विशेष दया प्रदान कर
और हमारे लिए प्रबंध कर दे हमारे विषय के सुधार का।
1. अर्थात नवयुवकों ने अपने ईमान की रक्षा के लिये
गुफा में शरण ली। जिस गुफा के ऊपर आगे चल कर उन के नामों का स्मारक शिला
लेख लगा दिया गया था। उल्लेखों से यह विद्वित होता है कि नवयुवक ईसा
अलैहिस्सलाम के अनुयायियों में से थे। और रोम के मुश्रिक राजा की प्रजा थे।
जो एकेश्वरवादियों का शत्रु था। और उन्हें मूर्ति पूजा के लिये बाध्य करता
था। इस लिये वे अपने ईमान की रक्षा के लिये जार्डन की गुफा में चले गये जो
नये शोध के अनुसार जार्डन की राजधानी से 8 की◦ मी◦ दूर (रजीब) में
अवशेषज्ञों को मिली है। जिस गुफा के ऊपर सात स्तंभों की मस्जिद के खण्डर और
गुफा के भीतर आठ समाधियाँ तथा उत्तरी दीवार पर पुरानी युनानी लिपी में एक
शिला लेख मिला है और उस पर किसी जीव का चित्र भी है। जो कुत्ते का चित्र
बताया जाता है और यह रजीब ही (रक़ीम) का बदला हुआ रूप है। (देखियेः भाष्य
दावतुल क़ुर्आनः 2/983)
التفاسير العربية:
فَضَرَبۡنَا عَلَىٰٓ ءَاذَانِهِمۡ فِي ٱلۡكَهۡفِ سِنِينَ عَدَدٗا
तो हमने उन्हें गुफा में सुला दिया कई वर्षों तक।
التفاسير العربية:
ثُمَّ بَعَثۡنَٰهُمۡ لِنَعۡلَمَ أَيُّ ٱلۡحِزۡبَيۡنِ أَحۡصَىٰ لِمَا لَبِثُوٓاْ أَمَدٗا
फिर हमने उन्हें जगा दिया, ताकि हम ये जान लें कि दो समुदायों में से किसने उनके ठहरे रहने की अवधि को अधिक याद रखा है?
التفاسير العربية:
نَّحۡنُ نَقُصُّ عَلَيۡكَ نَبَأَهُم بِٱلۡحَقِّۚ
إِنَّهُمۡ فِتۡيَةٌ ءَامَنُواْ بِرَبِّهِمۡ وَزِدۡنَٰهُمۡ هُدٗى
हम आपको उनकी सत्य कथा सुना रहे
हैं। वास्तव में, वे कुछ नवयुवक थे, जो अपने पालनहार पर ईमान लाये और हमने
उन्हें मार्गदर्शन में अधिक कर दिया।
التفاسير العربية:
وَرَبَطۡنَا عَلَىٰ قُلُوبِهِمۡ إِذۡ قَامُواْ
فَقَالُواْ رَبُّنَا رَبُّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ لَن نَّدۡعُوَاْ مِن
دُونِهِۦٓ إِلَٰهٗاۖ لَّقَدۡ قُلۡنَآ إِذٗا شَطَطًا
और हमने उनके दिलों को सुदृढ़
कर दिया, जब वे खड़े हुए, फिर कहाः हमारा पालनहार वही है, जो आकाशों तथा
धरती का पालनहार है। हम उसके सिवा कदापि किसी पूज्य को नहीं पुकारेंगे।
(यदि हमने ऐसा किया) तो (सत्य से) दूर की बात होगी।
التفاسير العربية:
هَـٰٓؤُلَآءِ قَوۡمُنَا ٱتَّخَذُواْ مِن
دُونِهِۦٓ ءَالِهَةٗۖ لَّوۡلَا يَأۡتُونَ عَلَيۡهِم بِسُلۡطَٰنِۭ بَيِّنٖۖ
فَمَنۡ أَظۡلَمُ مِمَّنِ ٱفۡتَرَىٰ عَلَى ٱللَّهِ كَذِبٗا
ये हमारी जाति है, जिसने अल्लाह
के सिवा बहुत-से पूज्य बना लिए। क्यों वे उनपर कोई खुला प्रमाण प्रस्तुत
नहीं करते? उससे बड़ा अत्याचारी कौन होगा, जो अल्लाह पर मिथ्या बात बनाये?
التفاسير العربية:
وَإِذِ ٱعۡتَزَلۡتُمُوهُمۡ وَمَا يَعۡبُدُونَ
إِلَّا ٱللَّهَ فَأۡوُۥٓاْ إِلَى ٱلۡكَهۡفِ يَنشُرۡ لَكُمۡ رَبُّكُم مِّن
رَّحۡمَتِهِۦ وَيُهَيِّئۡ لَكُم مِّنۡ أَمۡرِكُم مِّرۡفَقٗا
और जब तुम उनसे विलग हो गये तथा
अल्लाह के अतिरिक्त उनके पूज्यों से, तो अब अमुक गुफा की ओर शरण लो,
अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी दया फैला देगा तथा तुम्हारे लिए तुम्हारे विषय
में जीवन के साधनों का प्रबंध करेगा।
التفاسير العربية:
۞وَتَرَى ٱلشَّمۡسَ إِذَا طَلَعَت تَّزَٰوَرُ عَن
كَهۡفِهِمۡ ذَاتَ ٱلۡيَمِينِ وَإِذَا غَرَبَت تَّقۡرِضُهُمۡ ذَاتَ
ٱلشِّمَالِ وَهُمۡ فِي فَجۡوَةٖ مِّنۡهُۚ ذَٰلِكَ مِنۡ ءَايَٰتِ ٱللَّهِۗ
مَن يَهۡدِ ٱللَّهُ فَهُوَ ٱلۡمُهۡتَدِۖ وَمَن يُضۡلِلۡ فَلَن تَجِدَ لَهُۥ
وَلِيّٗا مُّرۡشِدٗا
और तुम सूर्य को देखोगे कि जब
निकलता है, तो उनकी गूफा से दायें झुक जाता है और जब डूबता है, तो उनसे
बायें कतरा जाता है और वे उस (गुफा) के एक विस्तृत स्थान में हैं। ये
अल्लाह की निशानियों में से है और जिसे अल्लाह मार्ग दिखा दे, वही सुपथ
पाने वाला है और जिसे कुपथ कर दे, तो तुम कदापि उसके लिए कोई सहायक
मार्गदर्शक नहीं पाओगे।
التفاسير العربية:
وَتَحۡسَبُهُمۡ أَيۡقَاظٗا وَهُمۡ رُقُودٞۚ
وَنُقَلِّبُهُمۡ ذَاتَ ٱلۡيَمِينِ وَذَاتَ ٱلشِّمَالِۖ وَكَلۡبُهُم بَٰسِطٞ
ذِرَاعَيۡهِ بِٱلۡوَصِيدِۚ لَوِ ٱطَّلَعۡتَ عَلَيۡهِمۡ لَوَلَّيۡتَ
مِنۡهُمۡ فِرَارٗا وَلَمُلِئۡتَ مِنۡهُمۡ رُعۡبٗا
और तुम[1] उन्हें समझोगे कि जाग
रहे हैं, जबकि वे सोये हुए हैं और हम उन्हें दायें तथा बायें पार्शव पर
फिराते रहते हैं और उनका कुत्ता गुफा के द्वार पर अपनी दोनों बाहें फैलाये
पड़ा है। यदि तुम झाँककर देख लेते, तो पीठ फेरकर भाग जाते और उनसे भयपूर्ण
हो जाते।
1. इस में किसी को भी संबोधित माना जा सकता है, जो उन्हें उस दशा में देख सके।
التفاسير العربية:
وَكَذَٰلِكَ بَعَثۡنَٰهُمۡ لِيَتَسَآءَلُواْ
بَيۡنَهُمۡۚ قَالَ قَآئِلٞ مِّنۡهُمۡ كَمۡ لَبِثۡتُمۡۖ قَالُواْ لَبِثۡنَا
يَوۡمًا أَوۡ بَعۡضَ يَوۡمٖۚ قَالُواْ رَبُّكُمۡ أَعۡلَمُ بِمَا
لَبِثۡتُمۡ فَٱبۡعَثُوٓاْ أَحَدَكُم بِوَرِقِكُمۡ هَٰذِهِۦٓ إِلَى
ٱلۡمَدِينَةِ فَلۡيَنظُرۡ أَيُّهَآ أَزۡكَىٰ طَعَامٗا فَلۡيَأۡتِكُم
بِرِزۡقٖ مِّنۡهُ وَلۡيَتَلَطَّفۡ وَلَا يُشۡعِرَنَّ بِكُمۡ أَحَدًا
और इसी प्रकार, हमने उन्हें जगा
दिया, ताकि वे आपस में प्रश्न करें। तो एक ने उनमें से कहाः तुम कितने
(समय) रहे हो? सबने कहाः हम एक दिन रहे हैं अथवा एक दिन के कुछ (समय)।
(फिर) सबने कहाः अल्लाह अधिक जानता है कि तुम कितने (समय) रहे हो, तुम अपने
में से किसी को, अपना ये सिक्का देकर नगर में भेजो, फिर देखे कि किसके पास
अधिक स्वच्छ (पवित्र) भोजन है और उसमें से कुछ जीविका (भोजन) लाये और
चाहिए कि सावधानी बरते। ऐसा न हो कि तुम्हारा किसी को अनुभव हो जाये।
التفاسير العربية:
إِنَّهُمۡ إِن يَظۡهَرُواْ عَلَيۡكُمۡ
يَرۡجُمُوكُمۡ أَوۡ يُعِيدُوكُمۡ فِي مِلَّتِهِمۡ وَلَن تُفۡلِحُوٓاْ إِذًا
أَبَدٗا
क्योंकि यदि वे तुम्हें जान
जायेंगे तो तुम्हें पथराव करके मार डालेंगे या तुम्हें अपने धर्म में लौटा
लेंगे और तब तुम कदापि सफल नहीं हो सकोगे।
التفاسير العربية:
وَكَذَٰلِكَ أَعۡثَرۡنَا عَلَيۡهِمۡ
لِيَعۡلَمُوٓاْ أَنَّ وَعۡدَ ٱللَّهِ حَقّٞ وَأَنَّ ٱلسَّاعَةَ لَا رَيۡبَ
فِيهَآ إِذۡ يَتَنَٰزَعُونَ بَيۡنَهُمۡ أَمۡرَهُمۡۖ فَقَالُواْ ٱبۡنُواْ
عَلَيۡهِم بُنۡيَٰنٗاۖ رَّبُّهُمۡ أَعۡلَمُ بِهِمۡۚ قَالَ ٱلَّذِينَ
غَلَبُواْ عَلَىٰٓ أَمۡرِهِمۡ لَنَتَّخِذَنَّ عَلَيۡهِم مَّسۡجِدٗا
इसी प्रकार, हमने उनसे अवगत करा
दिया, ताकि उन (नागरिकों) को ज्ञान हो जाये कि अल्लाह का वचन सत्य है और
ये कि प्रलय (होने) में कोई संदेह[1] नहीं। जब वे[2] आपस में विवाद करने
लगे, तो कुछ ने कहाः उनपर कोई निर्माण करा दो, अल्लाह ही उनकी दशा को
भली-भाँति जानता है। परन्तु उन्होंने कहा जो अपना प्रभुत्व रखते थे, हम
अवश्य उन (की गुफा के स्थान) पर एक मस्जिद बनायेंगे।
1. जिस के आने पर सब को उन के कर्मों का फल दिया
जायेगा। 2. अर्थात जब पुराने सिक्के और भाषा के कारण उन का भेद खुल गया और
वहाँ के लोगों को उन की कथा का ज्ञान हो गया तो फिर वे अपनी गुफा ही में मर
गये। और उन के विषय में यह विवाद उत्पन्न हो गया। यहाँ यह ज्ञातव्य है कि
इस्लाम में समाधियों पर मस्जिद बनाना, और उस में नमाज़ पढ़ना तथा उस पर कोई
निर्माण करना अवैध है। जिस का पूरा विवरण ह़दीसों में मिलेगा। (सह़ीह़
बुख़ारीः 435, मुस्लिमः531-32)
التفاسير العربية:
سَيَقُولُونَ ثَلَٰثَةٞ رَّابِعُهُمۡ كَلۡبُهُمۡ
وَيَقُولُونَ خَمۡسَةٞ سَادِسُهُمۡ كَلۡبُهُمۡ رَجۡمَۢا بِٱلۡغَيۡبِۖ
وَيَقُولُونَ سَبۡعَةٞ وَثَامِنُهُمۡ كَلۡبُهُمۡۚ قُل رَّبِّيٓ أَعۡلَمُ
بِعِدَّتِهِم مَّا يَعۡلَمُهُمۡ إِلَّا قَلِيلٞۗ فَلَا تُمَارِ فِيهِمۡ
إِلَّا مِرَآءٗ ظَٰهِرٗا وَلَا تَسۡتَفۡتِ فِيهِم مِّنۡهُمۡ أَحَدٗا
कुछ[1] कहेंगे कि वे तीन हैं और
चौथा उनका कुत्ता है और कुछ कहेंगे कि पाँच हैं और छठा उनका कुत्ता है। ये
अंधेरे में तीर चलाते हैं और कहेंगे कि सात हैं और आठवाँ उनका कुत्ता है।
(हे नबी!) आप कह दें कि मेरा पालनहार ही उनकी संख्या भली-भाँति जानता है,
जिसे कुछ लोगों के सिवा कोई नहीं जानता[2]। अतः आप उनके संबन्ध में कोई
विवाद न करें, सिवाय सरसरी बात के और न उनके विषय में किसी से कुछ
पूछें[3]।
1. इन से मुराद नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के
युग के अह्ले किताब हैं। 2. भावार्थ यह है कि उन की संख्या का सह़ीह़ ज्ञान
तो अल्लाह ही को है किन्तु वास्तव में ध्यान देने की बात यह है कि इस से
हमें क्या शिक्षा मिल रही है। 3. क्योंकि आप को उन के बारे में अल्लाह के
बताने के कारण उन लोगों से अधिक ज्ञान है। और उन के पास कोई ज्ञान नहीं। इस
लिये किसी से पूछने की आवश्यक्ता भी नहीं है।
التفاسير العربية:
وَلَا تَقُولَنَّ لِشَاْيۡءٍ إِنِّي فَاعِلٞ ذَٰلِكَ غَدًا
और कदापि किसी विषय में न कहें कि मैं इसे कल करने वाला हूँ।
التفاسير العربية:
إِلَّآ أَن يَشَآءَ ٱللَّهُۚ وَٱذۡكُر رَّبَّكَ
إِذَا نَسِيتَ وَقُلۡ عَسَىٰٓ أَن يَهۡدِيَنِ رَبِّي لِأَقۡرَبَ مِنۡ
هَٰذَا رَشَدٗا
परन्तु ये कि अल्लाह[1] चाहे
तथा अपने पालनहार को याद करें, जब भूल जायेँ और कहें: संभव है, मेरा
पालनहार मुझे इससे समीप सुधार का मार्ग दर्शा दे।
1. अर्थात भविष्य में कुछ करने का निश्चय करें, तो
"इन् शा अल्लाह" कहें। अर्थता यदि अल्लाह ने चाहा तो।
التفاسير العربية:
وَلَبِثُواْ فِي كَهۡفِهِمۡ ثَلَٰثَ مِاْئَةٖ سِنِينَ وَٱزۡدَادُواْ تِسۡعٗا
और वे गुफा में तीन सौ वर्ष रहे और नौ वर्ष अधिक[1] और।
1. अर्थात सूर्य के वर्ष से तीन सौ वर्ष, और चाँद
के वर्ष से नौ वर्ष अधिक गुफा में सोये रहे।
التفاسير العربية:
قُلِ ٱللَّهُ أَعۡلَمُ بِمَا لَبِثُواْۖ لَهُۥ
غَيۡبُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۖ أَبۡصِرۡ بِهِۦ وَأَسۡمِعۡۚ مَا لَهُم
مِّن دُونِهِۦ مِن وَلِيّٖ وَلَا يُشۡرِكُ فِي حُكۡمِهِۦٓ أَحَدٗا
आप कह दें कि अल्लाह उनके रहने
की अवधि से सर्वाधिक अवगत है। आकाशों तथा धरती का परोक्ष वही जानता है।
क्या ही ख़ूब है वह देखने वाला और सुनने वाला। नहीं है उनका उसके सिवा कोई
सहायक और न वह अपने शासन में किसी को साझी बनाता है।
التفاسير العربية:
وَٱتۡلُ مَآ أُوحِيَ إِلَيۡكَ مِن كِتَابِ
رَبِّكَۖ لَا مُبَدِّلَ لِكَلِمَٰتِهِۦ وَلَن تَجِدَ مِن دُونِهِۦ
مُلۡتَحَدٗا
और आप उसे सुना दें, जो आपकी ओर
वह़्यी (प्रकाशना) की गयी है, आपके पालनहार की पुस्तक में से, उसकी बातों
को कोई बदलने वाला नहीं है और आप कदापि नहीं पायेंगे उसके सिवा कोई शरण
स्थान।
التفاسير العربية:
وَٱصۡبِرۡ نَفۡسَكَ مَعَ ٱلَّذِينَ يَدۡعُونَ
رَبَّهُم بِٱلۡغَدَوٰةِ وَٱلۡعَشِيِّ يُرِيدُونَ وَجۡهَهُۥۖ وَلَا تَعۡدُ
عَيۡنَاكَ عَنۡهُمۡ تُرِيدُ زِينَةَ ٱلۡحَيَوٰةِ ٱلدُّنۡيَاۖ وَلَا تُطِعۡ
مَنۡ أَغۡفَلۡنَا قَلۡبَهُۥ عَن ذِكۡرِنَا وَٱتَّبَعَ هَوَىٰهُ وَكَانَ
أَمۡرُهُۥ فُرُطٗا
और आप उनके साथ रहें, जो अपने
पालनहार की प्रातः-संध्या बंदगी करते हैं। वे उसकी प्रसन्नता चाहते हैं और
आपकी आँखें सांसारिक जीवन की शोभा के लिए[1] उनसे न फिरने पायें और उसकी
बात न मानें, जिसके दिल को हमने अपनी याद से निश्चेत कर दिया और उसने
मनमानी की और जिसका काम ही उल्लंघन (अवज्ञा करना) है।
1. भाष्यकारों ने लिखा है कि यह आयत उस समय उतरी
जब मुश्रिक क़ुरैश के कुछ प्रमुखों ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से यह
माँग की कि आप अपने निर्धन अनुयायियों के साथ न रहें। तो हम आप के पास आ कर
आप की बातें सुनेंगे। इस लिये अल्लाह ने आप को आदेश दिया कि इन का आदर
किया जाये, ऐसा नहीं होना चाहिये कि इन की उपेक्षा कर के उन धनवानों की बात
मानी जाये जो अल्लाह की याद से निश्चेत हैं।
التفاسير العربية:
وَقُلِ ٱلۡحَقُّ مِن رَّبِّكُمۡۖ فَمَن شَآءَ
فَلۡيُؤۡمِن وَمَن شَآءَ فَلۡيَكۡفُرۡۚ إِنَّآ أَعۡتَدۡنَا
لِلظَّـٰلِمِينَ نَارًا أَحَاطَ بِهِمۡ سُرَادِقُهَاۚ وَإِن يَسۡتَغِيثُواْ
يُغَاثُواْ بِمَآءٖ كَٱلۡمُهۡلِ يَشۡوِي ٱلۡوُجُوهَۚ بِئۡسَ ٱلشَّرَابُ
وَسَآءَتۡ مُرۡتَفَقًا
आप कह दें कि ये सत्य है,
तुम्हारे पालनहार की ओर से, तो जो चाहे, ईमान लाये और जो चाहे कुफ़्र करे,
निश्चय हमने अत्याचारियों के लिए ऐसी अग्नि तैयार कर रखी है, जिसकी
प्राचीर[1] ने उन्हें घेर लिया है और यदि वे जल के लिए गुहार करेंगे, तो
उन्हें तेल की तलछट के समान जल दिया जायेगा, जो मुखों को भून देगा, वह क्या
ही बुरा पेय है और वह क्या ही बुरा विश्राम स्थान है!
1. क़र्आन में "सुरादिक़" शब्द प्रयुक्त हुआ है।
जिस का अर्थ प्राचीर, अर्थात वह दीवार है जो नरक के चारों ओर बनाई गई है।
التفاسير العربية:
إِنَّ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ
ٱلصَّـٰلِحَٰتِ إِنَّا لَا نُضِيعُ أَجۡرَ مَنۡ أَحۡسَنَ عَمَلًا
निश्चय जो ईमान लाये तथा सदाचार किये, तो हम उनका प्रतिफल व्यर्थ नहीं करेंगे, जो सदाचारी हैं।
التفاسير العربية:
أُوْلَـٰٓئِكَ لَهُمۡ جَنَّـٰتُ عَدۡنٖ تَجۡرِي
مِن تَحۡتِهِمُ ٱلۡأَنۡهَٰرُ يُحَلَّوۡنَ فِيهَا مِنۡ أَسَاوِرَ مِن ذَهَبٖ
وَيَلۡبَسُونَ ثِيَابًا خُضۡرٗا مِّن سُندُسٖ وَإِسۡتَبۡرَقٖ
مُّتَّكِـِٔينَ فِيهَا عَلَى ٱلۡأَرَآئِكِۚ نِعۡمَ ٱلثَّوَابُ وَحَسُنَتۡ
مُرۡتَفَقٗا
यही हैं, जिनके लिए स्थायी
स्वर्ग हैं, जिनमें नहरें प्रवाहित हैं, उसमें उन्हें सोने के कंगन पहनाये
जायेंगे।[1] तथा (वे) महीन और गाढ़े रेशम के हरे वस्त्र पहनेंगे, उसमें
सिंहासनों के ऊपर आसीन होंगे। ये क्या ही अच्छा प्रतिफल और क्या ही अच्छा
विश्राम स्थान है।
1. यह स्वर्ग वासियों का स्वर्ण कंगन है। किन्तु
संसार में इस्लाम की शिक्षानुसार पुरुषों के लिये सोने का कंगन पहनना ह़राम
है।
التفاسير العربية:
۞وَٱضۡرِبۡ لَهُم مَّثَلٗا رَّجُلَيۡنِ جَعَلۡنَا
لِأَحَدِهِمَا جَنَّتَيۡنِ مِنۡ أَعۡنَٰبٖ وَحَفَفۡنَٰهُمَا بِنَخۡلٖ
وَجَعَلۡنَا بَيۡنَهُمَا زَرۡعٗا
और (हे नबी!) आप उन्हें एक
उदाहरण दो वयक्तियों का दें; हमने जिनमें से एक को दो बाग़ दिये अंगूरों के
और घेर दिया दोनों को खजूरों से और दोनों के बीच खेती बना दी।
التفاسير العربية:
كِلۡتَا ٱلۡجَنَّتَيۡنِ ءَاتَتۡ أُكُلَهَا وَلَمۡ
تَظۡلِم مِّنۡهُ شَيۡـٔٗاۚ وَفَجَّرۡنَا خِلَٰلَهُمَا نَهَرٗا
दोनों बाग़ों ने अपने पूरे फल दिये और उसमें कुछ कमी नहीं की और हमने जारी कर दी दोनों के बीच एक नहर।
التفاسير العربية:
وَكَانَ لَهُۥ ثَمَرٞ فَقَالَ لِصَٰحِبِهِۦ وَهُوَ
يُحَاوِرُهُۥٓ أَنَا۠ أَكۡثَرُ مِنكَ مَالٗا وَأَعَزُّ نَفَرٗا
और उसे लाभ प्राप्त हुआ, तो एक
दिन उसने अपने साथी से कहा जबकि वह उससे बात कर रहा थाः मैं तुझसे अधिक धनी
हूँ तथा स्वजनों में भी अधिक[1] हूँ।
1. अर्थात यदि किसी का धन संतान तथा बाग़ इत्यादि
अच्छा लगे तो ((मा शा अल्लाह ला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाह)) कहना चाहिये। ऐसा
कहने से नज़र नहीं लगती। यह इस्लाम धर्म की शिक्षा है, जिस से आपस में
द्वेष नहीं होता।
التفاسير العربية:
وَدَخَلَ جَنَّتَهُۥ وَهُوَ ظَالِمٞ لِّنَفۡسِهِۦ
قَالَ مَآ أَظُنُّ أَن تَبِيدَ هَٰذِهِۦٓ أَبَدٗا
और उसने अपने बाग़ में प्रवेश किया, अपने ऊपर अत्याचार करते हुए, उसने कहाः मैं नहीं समझता कि इसका विनाश हो जायेगा कभी।
التفاسير العربية:
وَمَآ أَظُنُّ ٱلسَّاعَةَ قَآئِمَةٗ وَلَئِن
رُّدِدتُّ إِلَىٰ رَبِّي لَأَجِدَنَّ خَيۡرٗا مِّنۡهَا مُنقَلَبٗا
और न ये समझता हूँ कि प्रलय होगी और यदि मुझे अपने पालनहार की ओर पुनः ले जाया गया, तो मैं अवश्य ही इससे उत्तम स्थान पाऊँगा।
التفاسير العربية:
قَالَ لَهُۥ صَاحِبُهُۥ وَهُوَ يُحَاوِرُهُۥٓ
أَكَفَرۡتَ بِٱلَّذِي خَلَقَكَ مِن تُرَابٖ ثُمَّ مِن نُّطۡفَةٖ ثُمَّ
سَوَّىٰكَ رَجُلٗا
उससे, उसके साथी ने कहा और वह
उससे बात कर रहा थाः क्या तूने उसके साथ कुफ़्र कर दिया, जिसने तुझे मिट्टी
से उत्पन्न किया, फिर वीर्य से, फिर तुझे बना दिया एक पूरा पुरुष?
التفاسير العربية:
لَّـٰكِنَّا۠ هُوَ ٱللَّهُ رَبِّي وَلَآ أُشۡرِكُ بِرَبِّيٓ أَحَدٗا
रहा मैं, तो वही अल्लाह मेरा पालनहार है और मैं साझी नहीं बनाऊँगा अपने पालनहार का किसी को।
التفاسير العربية:
وَلَوۡلَآ إِذۡ دَخَلۡتَ جَنَّتَكَ قُلۡتَ مَا
شَآءَ ٱللَّهُ لَا قُوَّةَ إِلَّا بِٱللَّهِۚ إِن تَرَنِ أَنَا۠ أَقَلَّ
مِنكَ مَالٗا وَوَلَدٗا
और क्यों नहीं जब तुमने अपने
बाग़ में प्रवेश किया, तो कहा कि "जो अल्लाह चाहे, अल्लाह की शक्ति के बिना
कुछ नहीं हो सकता।" यदि तू मुझे देखता है कि मैं तुझसे कम हूँ धन तथा
संतान में[1],
1. अर्थात मेरे सेवक और सहायक भी तुझ से अधिक हैं।
التفاسير العربية:
فَعَسَىٰ رَبِّيٓ أَن يُؤۡتِيَنِ خَيۡرٗا مِّن
جَنَّتِكَ وَيُرۡسِلَ عَلَيۡهَا حُسۡبَانٗا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ فَتُصۡبِحَ
صَعِيدٗا زَلَقًا
तो आशा है कि मेरा पालनहार मुझे प्रदान कर दे, तेरे बाग़ से अच्छा और इस बाग़ पर आकाश से कोई आपदा भेज दे और वह चिकनी भूमि बन जाये।
التفاسير العربية:
أَوۡ يُصۡبِحَ مَآؤُهَا غَوۡرٗا فَلَن تَسۡتَطِيعَ لَهُۥ طَلَبٗا
अथवा उसका जल भीतर उतर जाये, फिर तू उसे पा न सके।
التفاسير العربية:
وَأُحِيطَ بِثَمَرِهِۦ فَأَصۡبَحَ يُقَلِّبُ
كَفَّيۡهِ عَلَىٰ مَآ أَنفَقَ فِيهَا وَهِيَ خَاوِيَةٌ عَلَىٰ عُرُوشِهَا
وَيَقُولُ يَٰلَيۡتَنِي لَمۡ أُشۡرِكۡ بِرَبِّيٓ أَحَدٗا
(अन्ततः) उसके फलों को घेर[1]
लिया गया, फिर वह अपने दोनों हाथ मलता रह गया उसपर, जो उसमें खर्च किया था
और वह अपने छप्परों सहित गिरा हुआ था और कहने लगाः क्या ही अच्छा होता कि
मैं किसी को अपने पालनहार का साझी न बनाता।
1. अर्थात आपदा ने घेर लिया।
التفاسير العربية:
وَلَمۡ تَكُن لَّهُۥ فِئَةٞ يَنصُرُونَهُۥ مِن دُونِ ٱللَّهِ وَمَا كَانَ مُنتَصِرًا
और नहीं रह गया उसके लिए कोई जत्था, जो उसकी सहायता करता और न स्वयं अपनी सहायता कर सका।
التفاسير العربية:
هُنَالِكَ ٱلۡوَلَٰيَةُ لِلَّهِ ٱلۡحَقِّۚ هُوَ خَيۡرٞ ثَوَابٗا وَخَيۡرٌ عُقۡبٗا
यहीं सिध्द हो गया कि सब अधिकार सत्य अल्लाह को है, वही अच्छा है प्रतिफल प्रदान करने में तथा अच्छा है परिणाम लाने में।
التفاسير العربية:
وَٱضۡرِبۡ لَهُم مَّثَلَ ٱلۡحَيَوٰةِ ٱلدُّنۡيَا
كَمَآءٍ أَنزَلۡنَٰهُ مِنَ ٱلسَّمَآءِ فَٱخۡتَلَطَ بِهِۦ نَبَاتُ
ٱلۡأَرۡضِ فَأَصۡبَحَ هَشِيمٗا تَذۡرُوهُ ٱلرِّيَٰحُۗ وَكَانَ ٱللَّهُ
عَلَىٰ كُلِّ شَيۡءٖ مُّقۡتَدِرًا
और (हे नबी!) आप उन्हें
सांसारिक जीवन का उदाहरण दें, उस जल से, जिसे हमने आकाश से बरसाया। फिर
उसके कारण मिल गई धरती की उपज, फिर चूर हो गई, जिसे वायु उड़ाये फिरती[1]
है और अल्लाह प्रत्येक चीज़ पर सामर्थ्य रखने वाला है।
1. अर्थात संसारिक जीवन और उस का सुख-सुविधा सब साम्यिक है।
التفاسير العربية:
ٱلۡمَالُ وَٱلۡبَنُونَ زِينَةُ ٱلۡحَيَوٰةِ
ٱلدُّنۡيَاۖ وَٱلۡبَٰقِيَٰتُ ٱلصَّـٰلِحَٰتُ خَيۡرٌ عِندَ رَبِّكَ ثَوَابٗا
وَخَيۡرٌ أَمَلٗا
धन और पुत्र सांसारिक जीवन की
शोभा हैं और शेष रह जाने वाले सत्कर्म ही अच्छे हैं, आपके पालनहार के यहाँ
प्रतिफल में तथा अच्छे हैं, आशा रखने के लिए।
التفاسير العربية:
وَيَوۡمَ نُسَيِّرُ ٱلۡجِبَالَ وَتَرَى ٱلۡأَرۡضَ
بَارِزَةٗ وَحَشَرۡنَٰهُمۡ فَلَمۡ نُغَادِرۡ مِنۡهُمۡ أَحَدٗا
तथा जिस दिन हम पर्वतों को
चलायेंगे तथा तुम धरती को खुला चटेल[1] देखोगे और हम उन्हें एकत्र कर
देंगे, फिर उनमें से किसी को नहीं छोड़ेंगे।
1. अर्थात न उस में कोई चिन्ह होगा न छुपने का स्थान।
التفاسير العربية:
وَعُرِضُواْ عَلَىٰ رَبِّكَ صَفّٗا لَّقَدۡ
جِئۡتُمُونَا كَمَا خَلَقۡنَٰكُمۡ أَوَّلَ مَرَّةِۭۚ بَلۡ زَعَمۡتُمۡ
أَلَّن نَّجۡعَلَ لَكُم مَّوۡعِدٗا
और सभी आपके पालनहार के समक्ष
पंक्तियों में प्रस्तुत किये जायेंगे, तुम हमारे पास आ गये, जैसे हमने
तुम्हारी उत्पत्ति प्रथम बार की थी, बल्कि तुमने समझा था कि हम तुम्हारे
लिए कोई वचन का समय निर्धारित ही नहीं करेंगे।
التفاسير العربية:
وَوُضِعَ ٱلۡكِتَٰبُ فَتَرَى ٱلۡمُجۡرِمِينَ
مُشۡفِقِينَ مِمَّا فِيهِ وَيَقُولُونَ يَٰوَيۡلَتَنَا مَالِ هَٰذَا
ٱلۡكِتَٰبِ لَا يُغَادِرُ صَغِيرَةٗ وَلَا كَبِيرَةً إِلَّآ أَحۡصَىٰهَاۚ
وَوَجَدُواْ مَا عَمِلُواْ حَاضِرٗاۗ وَلَا يَظۡلِمُ رَبُّكَ أَحَدٗا
और कर्म लेख[1] (सामने) रख दिये
जायेंगे, तो आप अपराधियों को देखेंगे कि उससे डर रहे हैं, जो कुछ उसमें
(अंकित) है तथा कहेंगे कि हाय हमारा विनाश! ये कैसी पुस्तक है, जिसने किसी
छोटे और बड़े कर्म को नहीं छोड़ा है, परन्तु उसे अंकित कर रखा है? और जो
कर्म उन्होंने किये हैं, उन्हें वह सामने पायेंगे और आपका पालनहार किसी पर
अत्याचार नहीं करेगा।
1. अर्थात प्रत्येक का कर्म पत्र जो उस ने संसारिक जीवन में किया है।
التفاسير العربية:
وَإِذۡ قُلۡنَا لِلۡمَلَـٰٓئِكَةِ ٱسۡجُدُواْ
لِأٓدَمَ فَسَجَدُوٓاْ إِلَّآ إِبۡلِيسَ كَانَ مِنَ ٱلۡجِنِّ فَفَسَقَ
عَنۡ أَمۡرِ رَبِّهِۦٓۗ أَفَتَتَّخِذُونَهُۥ وَذُرِّيَّتَهُۥٓ أَوۡلِيَآءَ
مِن دُونِي وَهُمۡ لَكُمۡ عَدُوُّۢۚ بِئۡسَ لِلظَّـٰلِمِينَ بَدَلٗا
तथा (याद करो) जब आपके पालनहार
ने फ़रिश्तों से कहाः आदम को सज्दा करो, तो सबने सज्दा किया, इब्लीस के
सिवा। वह जिन्नों में से था, अतः उसने उल्लंघन किया अपने पालनहार की आज्ञा
का, तो क्या तुम उसे और उसकी संतति को सहायक मित्र बनाते हो, मुझे छोड़कर
जबकि वे तुम्हारे शत्रु हैं? अत्याचारियों के लिए बुरा बदला है।
التفاسير العربية:
۞مَّآ أَشۡهَدتُّهُمۡ خَلۡقَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ
وَٱلۡأَرۡضِ وَلَا خَلۡقَ أَنفُسِهِمۡ وَمَا كُنتُ مُتَّخِذَ ٱلۡمُضِلِّينَ
عَضُدٗا
मैंने उन्हें उपस्थित नहीं
किया, आकाशों तथा धरती की उतपत्ति के समय और न स्वयं उनकी उत्पत्ति के समय
और न मैं कुपथों को सहायक[1] बनाने वाला हूँ।
1. भावार्थ यह है कि विश्व की उत्पत्ति के समय इन
का अस्तित्व न था। यह तो बाद में उत्पन्न किये गये हैं। उन की उत्पत्ति में
भी उन से कोई सहायता नहीं ली गई, तो फिर यह अल्लाह के बराबर कैसे हो गये।
التفاسير العربية:
وَيَوۡمَ يَقُولُ نَادُواْ شُرَكَآءِيَ ٱلَّذِينَ
زَعَمۡتُمۡ فَدَعَوۡهُمۡ فَلَمۡ يَسۡتَجِيبُواْ لَهُمۡ وَجَعَلۡنَا
بَيۡنَهُم مَّوۡبِقٗا
जिस दिन वह (अल्लाह) कहेगा कि
मेरे साझियों को पुकारो, जिन्हें (तुम मेरे साझी) समझ रहे थे। वह उन्हें
पुकारेंगे, तो वे उनका कोई उत्तर नहीं देंगे और हम बना देंगे उनके बीच एक
विनाशकारी खाई।
التفاسير العربية:
وَرَءَا ٱلۡمُجۡرِمُونَ ٱلنَّارَ فَظَنُّوٓاْ
أَنَّهُم مُّوَاقِعُوهَا وَلَمۡ يَجِدُواْ عَنۡهَا مَصۡرِفٗا
और अपराधी नरक को देखेंगे, तो उन्हें विश्वास जो जायेगा कि वे उसमें गिरने वाले हैं और उससे फिरने का कोई स्थान नहीं पायेंगे।
التفاسير العربية:
وَلَقَدۡ صَرَّفۡنَا فِي هَٰذَا ٱلۡقُرۡءَانِ
لِلنَّاسِ مِن كُلِّ مَثَلٖۚ وَكَانَ ٱلۡإِنسَٰنُ أَكۡثَرَ شَيۡءٖ جَدَلٗا
और हमने इस क़ुर्आन में प्रत्येक उदाहरण से लोगों को समझाया है। और मनुष्य बड़ा ही झगड़ालू है।
التفاسير العربية:
وَمَا مَنَعَ ٱلنَّاسَ أَن يُؤۡمِنُوٓاْ إِذۡ
جَآءَهُمُ ٱلۡهُدَىٰ وَيَسۡتَغۡفِرُواْ رَبَّهُمۡ إِلَّآ أَن
تَأۡتِيَهُمۡ سُنَّةُ ٱلۡأَوَّلِينَ أَوۡ يَأۡتِيَهُمُ ٱلۡعَذَابُ قُبُلٗا
और नहीं रोका लोगों को कि ईमान
लायें, जब उनके पास मार्गदर्शन आ गया और अपने पालनहार से क्षमा याचना करें,
किन्तु इसीने कि पिछली जातियों की दशा उनकी भी हो जाये अथवा उनके समक्ष
यातना आ जाये।
التفاسير العربية:
وَمَا نُرۡسِلُ ٱلۡمُرۡسَلِينَ إِلَّا
مُبَشِّرِينَ وَمُنذِرِينَۚ وَيُجَٰدِلُ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ بِٱلۡبَٰطِلِ
لِيُدۡحِضُواْ بِهِ ٱلۡحَقَّۖ وَٱتَّخَذُوٓاْ ءَايَٰتِي وَمَآ أُنذِرُواْ
هُزُوٗا
तथा हम रसूलों को नहीं भेजते,
परन्तु शुभ सूचना देने वाले और सावधान करने वाले बनाकर और जो काफ़िर हैं,
असत्य (अनृत) के सहारे विवाद करते हैं, ताकि उसके द्वारा वे सत्य को
नीचा[1] दिखायें और उन्होंने बनाया हमारी आयतों को तथा जिस बात की उन्हें
चेतावनी दी गई, परिहास।
1. अर्थात सत्य को दबा दें।
التفاسير العربية:
وَمَنۡ أَظۡلَمُ مِمَّن ذُكِّرَ بِـَٔايَٰتِ
رَبِّهِۦ فَأَعۡرَضَ عَنۡهَا وَنَسِيَ مَا قَدَّمَتۡ يَدَاهُۚ إِنَّا
جَعَلۡنَا عَلَىٰ قُلُوبِهِمۡ أَكِنَّةً أَن يَفۡقَهُوهُ وَفِيٓ
ءَاذَانِهِمۡ وَقۡرٗاۖ وَإِن تَدۡعُهُمۡ إِلَى ٱلۡهُدَىٰ فَلَن
يَهۡتَدُوٓاْ إِذًا أَبَدٗا
और उससे बड़ा अत्याचारी कौन है,
जिसे उसके पालनहार की आयतें सुनाई जायेँ, फिर (भी) उनसे मुँह फेर ले और
अपने पहले किये हुए करतूत भूल जाये? वास्तव में, हमने उनके दिलों पर ऐसे
आवरण (पर्दे) बना दिये हैं कि उसे[1] समझ न पायें और उनके कानों में बोझ।
और यदि आप उन्हें सीधी राह की ओर बुलायें, तब (भी) कभी सीधी राह नहीं पा
सकेंग।
1. अर्थात क़ुर्आन को।
التفاسير العربية:
وَرَبُّكَ ٱلۡغَفُورُ ذُو ٱلرَّحۡمَةِۖ لَوۡ
يُؤَاخِذُهُم بِمَا كَسَبُواْ لَعَجَّلَ لَهُمُ ٱلۡعَذَابَۚ بَل لَّهُم
مَّوۡعِدٞ لَّن يَجِدُواْ مِن دُونِهِۦ مَوۡئِلٗا
और आपका पालनहार अति क्षमी
दयावान् है। यदि वह उन्हें उनके करतूतों पर पकड़ता, तो तुरन्त यातना दे
देता। बल्कि उनके लिए एक निश्चित समय का वचन है और वे उसके सिवा कोई बचाव
का स्थान नहीं पायेंगे।
التفاسير العربية:
وَتِلۡكَ ٱلۡقُرَىٰٓ أَهۡلَكۡنَٰهُمۡ لَمَّا
ظَلَمُواْ وَجَعَلۡنَا لِمَهۡلِكِهِم مَّوۡعِدٗا
तथा ये बस्तियाँ हैं। हमने उन
(के निवासियों) का विनाश कर दिया, जब उन्होंने अत्याचार किया और हमने उनके
विनाश के लिए एक निर्धारित समय बना दिया था।
التفاسير العربية:
وَإِذۡ قَالَ مُوسَىٰ لِفَتَىٰهُ لَآ أَبۡرَحُ
حَتَّىٰٓ أَبۡلُغَ مَجۡمَعَ ٱلۡبَحۡرَيۡنِ أَوۡ أَمۡضِيَ حُقُبٗا
तथा (याद करो) जब मूसा ने अपने
सेवक से कहाः मैं बराबर चलता रहूँगा, यहाँ तक कि दोनों सागरों के संगम पर
पहुँच जाऊँ अथवा वर्षों चलता[1] रहूँ।
1. मूसा अलैहिस्सलाम की यात्रा का कारण यह बना था
कि वह एक बार भाषण दे रहे थे। तो किसी ने पूछा कि इस संसार में सर्वाधिक
ज्ञानी कौन है? मूसा ने कहाः मैं हूँ। यह बात अल्लाह को अप्रिय लगी। और
मूसा से फ़रमाया कि दो सागरों के संगम के पास मेरा एक भक्त है जो तुम से
अधिक ज्ञानी है। मूसा ने कहाः मैं उस से कैसे मिल सकता हूँ? अल्लाह ने
फ़रमायाः एक मछली रख लो, और जिस स्थान पर वह खो जाये, तो वहीं वह मिलेगा।
और वह अपने सेवक यूशअ बिन नून को ले कर निकल पड़े। (संक्षिप्त अनुवाद
सह़ीह़ बुख़ारीः 4725)
التفاسير العربية:
فَلَمَّا بَلَغَا مَجۡمَعَ بَيۡنِهِمَا نَسِيَا
حُوتَهُمَا فَٱتَّخَذَ سَبِيلَهُۥ فِي ٱلۡبَحۡرِ سَرَبٗا
तो जब दोनों उनके संगम पर पहुँचे, तो दोनों अपनी मछली भूल गये और उसने सागर में अपनी राह बना ली, सुरंग के समान।
التفاسير العربية:
فَلَمَّا جَاوَزَا قَالَ لِفَتَىٰهُ ءَاتِنَا
غَدَآءَنَا لَقَدۡ لَقِينَا مِن سَفَرِنَا هَٰذَا نَصَبٗا
फिर, जब दोनों आगे चले गये, तो उस (मूसा) ने अपने सेवक से कहा कि हमारा दिन का भोजन लाओ। हम अपनी इस यात्रा से थक गये हैं।
التفاسير العربية:
قَالَ أَرَءَيۡتَ إِذۡ أَوَيۡنَآ إِلَى
ٱلصَّخۡرَةِ فَإِنِّي نَسِيتُ ٱلۡحُوتَ وَمَآ أَنسَىٰنِيهُ إِلَّا
ٱلشَّيۡطَٰنُ أَنۡ أَذۡكُرَهُۥۚ وَٱتَّخَذَ سَبِيلَهُۥ فِي ٱلۡبَحۡرِ
عَجَبٗا
उसने कहाः क्या आपने देखा? जब
हमने उस शिला खण्ड के पास शरण ली थी, तो मैं मछली भूल गया और मुझे उसे
शैतान ही ने भुला दिया कि मैं उसकी चर्चा करूँ और उसने अपनी राह सागर में
अनोखे तरीक़े से बना ली।
التفاسير العربية:
قَالَ ذَٰلِكَ مَا كُنَّا نَبۡغِۚ فَٱرۡتَدَّا عَلَىٰٓ ءَاثَارِهِمَا قَصَصٗا
मूसा ने कहाः वही है, जो हम चाहते थे। फिर दोनों अपने पद्चिन्हों को देखते हुए वापिस हुए।
التفاسير العربية:
فَوَجَدَا عَبۡدٗا مِّنۡ عِبَادِنَآ ءَاتَيۡنَٰهُ
رَحۡمَةٗ مِّنۡ عِندِنَا وَعَلَّمۡنَٰهُ مِن لَّدُنَّا عِلۡمٗا
और दोनों ने पाया हमारे भक्तों
में से एक भक्त[1] को, जिसे हमने अपनी विशेष दया प्रदान की थी और उसे अपने
पास से कुछ विशेष ज्ञान दिया था।
1. इस से अभिप्रेत आदरणीय ख़िज़्र अलैहिस्सलाम हैं।
التفاسير العربية:
قَالَ لَهُۥ مُوسَىٰ هَلۡ أَتَّبِعُكَ عَلَىٰٓ أَن
تُعَلِّمَنِ مِمَّا عُلِّمۡتَ رُشۡدٗا
मूसा ने उससे कहाः क्या मैं आपका अनुसरण करूँ, ताकि मुझे भी उस भलाई में से कुछ सिखा दें, जो आपको सिखाई गई है?
التفاسير العربية:
قَالَ إِنَّكَ لَن تَسۡتَطِيعَ مَعِيَ صَبۡرٗا
उसने कहाः तुम मेरे साथ धैर्य नहीं कर सकोगे।
التفاسير العربية:
وَكَيۡفَ تَصۡبِرُ عَلَىٰ مَا لَمۡ تُحِطۡ بِهِۦ خُبۡرٗا
और कैसे धैर्य करोगे उस बात पर, जिसका तुम्हें पूरा ज्ञान नहीं?
التفاسير العربية:
قَالَ سَتَجِدُنِيٓ إِن شَآءَ ٱللَّهُ صَابِرٗا وَلَآ أَعۡصِي لَكَ أَمۡرٗا
उसने कहाः यदि अल्लाह ने चाहा, तो आप मुझे सहनशील पायेंगे और मैं आपकी किसी आज्ञा का उल्लंघन नहीं करूँगा।
التفاسير العربية:
قَالَ فَإِنِ ٱتَّبَعۡتَنِي فَلَا تَسۡـَٔلۡنِي
عَن شَيۡءٍ حَتَّىٰٓ أُحۡدِثَ لَكَ مِنۡهُ ذِكۡرٗا
उसने कहाः यदि तुम्हें मेरा
अनुसरण करना है, तो मुझसे किसी चीज़ के बारे में प्रश्न न करना, जब तक मैं
स्वयं तुमसे उसकी चर्चा न करूँ।
التفاسير العربية:
فَٱنطَلَقَا حَتَّىٰٓ إِذَا رَكِبَا فِي
ٱلسَّفِينَةِ خَرَقَهَاۖ قَالَ أَخَرَقۡتَهَا لِتُغۡرِقَ أَهۡلَهَا لَقَدۡ
جِئۡتَ شَيۡـًٔا إِمۡرٗا
फिर दोनों चले, यहाँ तक कि जब
दोनों नौका में सवार हुए, तो उस (ख़िज़्र) ने उसमें छेद कर दिया। मूसा ने
कहाः क्या आपने इसमें छेदकर दिया, ताकि उसके सवारों को डुबो दें, आपने
अनुचित काम कर दिया।
التفاسير العربية:
قَالَ أَلَمۡ أَقُلۡ إِنَّكَ لَن تَسۡتَطِيعَ مَعِيَ صَبۡرٗا
उसने कहाः क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि तुम मेरे साथ सहन नहीं कर सकोगे?
التفاسير العربية:
قَالَ لَا تُؤَاخِذۡنِي بِمَا نَسِيتُ وَلَا تُرۡهِقۡنِي مِنۡ أَمۡرِي عُسۡرٗا
कहाः मुझे आप मेरी भूल पर न पकड़े और मेरी बात के कारण मुझे असुविधा में न डालें।
التفاسير العربية:
فَٱنطَلَقَا حَتَّىٰٓ إِذَا لَقِيَا غُلَٰمٗا
فَقَتَلَهُۥ قَالَ أَقَتَلۡتَ نَفۡسٗا زَكِيَّةَۢ بِغَيۡرِ نَفۡسٖ لَّقَدۡ
جِئۡتَ شَيۡـٔٗا نُّكۡرٗا
फिर दोनों चले, यहाँ तक कि एक
बालक से मिले, तो उस (ख़िज़्र) ने उसे वध कर दिया। मूसा ने कहाः क्या आपने
एक निर्दोष प्राण ले लिया, वह भी किसी प्राण के बदले[1] नहीं? आपने बहुत ही
बुरा काम किया।
1. अर्थात उस ने किसी प्राणी को नहीं मारा कि उस के बदले में उसे मारा जाये।
التفاسير العربية:
۞قَالَ أَلَمۡ أَقُل لَّكَ إِنَّكَ لَن تَسۡتَطِيعَ مَعِيَ صَبۡرٗا
उसने कहाः क्या मैंने तुमसे नहीं कहा कि वास्तव में, तुम मेरे साथ धैर्य नहीं कर सकोगे?
التفاسير العربية:
قَالَ إِن سَأَلۡتُكَ عَن شَيۡءِۭ بَعۡدَهَا فَلَا
تُصَٰحِبۡنِيۖ قَدۡ بَلَغۡتَ مِن لَّدُنِّي عُذۡرٗا
मूसा ने कहाः यदि मैं आपसे
प्रश्न करूँ, किसी विषय में इसके पश्चात्, तो मुझे अपने साथ न रखें। निश्चय
आप मेरी ओर से याचना को पहुँच[1] चुके।
1. अर्थात अब कोई प्रश्न करूँ तो आप के पास मुझे अपने साथ न रखने का उचित कारण होगा।
التفاسير العربية:
فَٱنطَلَقَا حَتَّىٰٓ إِذَآ أَتَيَآ أَهۡلَ
قَرۡيَةٍ ٱسۡتَطۡعَمَآ أَهۡلَهَا فَأَبَوۡاْ أَن يُضَيِّفُوهُمَا
فَوَجَدَا فِيهَا جِدَارٗا يُرِيدُ أَن يَنقَضَّ فَأَقَامَهُۥۖ قَالَ لَوۡ
شِئۡتَ لَتَّخَذۡتَ عَلَيۡهِ أَجۡرٗا
फिर दोनो चले, यहाँ तक कि जब एक
गाँव के वासियों के पास आये, तो उनसे भोजन माँगा। उन्होंने उनका अतिथि
सत्कार करने से इन्कार कर दिया। वहाँ उन्होंने एक दीवार पायी, जो गिरा
चाहती थी। उसने उसे सीधा कर दिया। कहाः यदि आप चाहते, तो इसपर पारिश्रमिक
ले लेते।
التفاسير العربية:
قَالَ هَٰذَا فِرَاقُ بَيۡنِي وَبَيۡنِكَۚ
سَأُنَبِّئُكَ بِتَأۡوِيلِ مَا لَمۡ تَسۡتَطِع عَّلَيۡهِ صَبۡرًا
उसने कहाः ये मेरे तथा तुम्हारे बीच वियोग है। मैं तुम्हें उसकी वास्तविक्ता बताऊँगा, जिसे तुम सहन नहीं कर सके।
التفاسير العربية:
أَمَّا ٱلسَّفِينَةُ فَكَانَتۡ لِمَسَٰكِينَ
يَعۡمَلُونَ فِي ٱلۡبَحۡرِ فَأَرَدتُّ أَنۡ أَعِيبَهَا وَكَانَ وَرَآءَهُم
مَّلِكٞ يَأۡخُذُ كُلَّ سَفِينَةٍ غَصۡبٗا
रही नाव, तो वह कुछ निर्धनों की
थी, जो सागर में काम करते थे। तो मैंने चाहा कि उसे छिद्रित[1] कर दूँ और
उनके आगे एक राजा था, जो प्रत्येक (अच्छी) नाव का अपहरण कर लेता था।
1. अर्थात उस में छेद कर दूँ।
التفاسير العربية:
وَأَمَّا ٱلۡغُلَٰمُ فَكَانَ أَبَوَاهُ
مُؤۡمِنَيۡنِ فَخَشِينَآ أَن يُرۡهِقَهُمَا طُغۡيَٰنٗا وَكُفۡرٗا
और रहा बालक, तो उसके माता-पिता ईमान वाले थे, अतः हम डरे कि उन्हें अपनी अवज्ञा और अधर्म से दुःख न पहुँचाये।
التفاسير العربية:
فَأَرَدۡنَآ أَن يُبۡدِلَهُمَا رَبُّهُمَا
خَيۡرٗا مِّنۡهُ زَكَوٰةٗ وَأَقۡرَبَ رُحۡمٗا
इसलिए हमने चाहा कि उन दोनों को उनका पालनहार, इसके बदले उससे अधिक पवित्र और अधिक प्रेमी प्रदान करे।
التفاسير العربية:
وَأَمَّا ٱلۡجِدَارُ فَكَانَ لِغُلَٰمَيۡنِ
يَتِيمَيۡنِ فِي ٱلۡمَدِينَةِ وَكَانَ تَحۡتَهُۥ كَنزٞ لَّهُمَا وَكَانَ
أَبُوهُمَا صَٰلِحٗا فَأَرَادَ رَبُّكَ أَن يَبۡلُغَآ أَشُدَّهُمَا
وَيَسۡتَخۡرِجَا كَنزَهُمَا رَحۡمَةٗ مِّن رَّبِّكَۚ وَمَا فَعَلۡتُهُۥ
عَنۡ أَمۡرِيۚ ذَٰلِكَ تَأۡوِيلُ مَا لَمۡ تَسۡطِع عَّلَيۡهِ صَبۡرٗا
और रही दीवार, तो वह दो अनाथ
बालकों की थी और उसके भीतर उनका कोष था और उनके माता-पिता पुनीत थे, तो
तेरे पालनहार ने चाहा कि वे दोनों अपनी युवा अवस्था को पहुँचें और अपना कोष
निकालें, तेरे पालनहार की दया से और मैंने ये अपने विचार तथा अधिकार से
नहीं किया[1]। ये उसकी वास्तविक्ता है, जिसे तुम सहन नहीं कर सके।
1. यह सभी कार्य विशेष रूप से निर्दोष बालक का वध
धार्मिक नियम से उचित न था। इस लिये मूसा (अलैहिस्सलाम) इस को सहन न कर
सके। किन्तु ((ख़िज़्र)) को विशेष ज्ञान दिया गया था जो मूसा (अलैहिस्सलाम)
के पास नहीं था। इस प्रकार अल्लाह ने जता दिया कि हर ज्ञानी के ऊपर भी कोई
ज्ञानी है।
التفاسير العربية:
وَيَسۡـَٔلُونَكَ عَن ذِي ٱلۡقَرۡنَيۡنِۖ قُلۡ سَأَتۡلُواْ عَلَيۡكُم مِّنۡهُ ذِكۡرًا
और (हे नबी!) वे आपसे ज़ुलक़रनैन[1] के विषय में प्रश्न करते हैं। आप कह दें कि मैं उनकी कुछ दशा तुम्हें पढ़कर सुना देता हूँ।
1. यह तीसरे प्रश्न का उत्तर है जिसे यहूदियों ने
मक्का के मिश्रणवादियों द्वारा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कराया था।
ज़ुलक़रनैन के आगामी आयतों में जो गुण-कर्म बताये गये हैं उन से विद्वित
होता है कि वह एक सदाचारी विजेता राजा था। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के शोध
के अनुसार यह वही राजा है जिसे यूनानी साईरस, हिब्रु भाषा में खोरिस तथा
अरब में ख़ुसरु के नाम से पुकारा जाता है। जिस का शासन काल 559 ई पूर्व है।
वह लिखते हैं कि 1838 ई में साईरस की एक पत्थर की मूर्ति अस्तख़र के
खण्डरों में मिली है। जिस में बाज़ पक्षी के भाँति उस के दो पंख तथा उस के
सिर पर भेड़ के समान दो सींग हैं। इस में मीडिया और फ़ारस के दो राज्यों की
उपमा दो सींगों से दी गयी है। (देखियेः तर्जमानुल क़ुर्आन, भागः 3, पृष्ठः
436-438)
التفاسير العربية:
إِنَّا مَكَّنَّا لَهُۥ فِي ٱلۡأَرۡضِ وَءَاتَيۡنَٰهُ مِن كُلِّ شَيۡءٖ سَبَبٗا
हमने उसे धरती में प्रभुत्व प्रदान किया तथा उसे प्रत्येक प्रकार का साधन दिया।
التفاسير العربية:
فَأَتۡبَعَ سَبَبًا
तो वह एक राह के पीछे लगा।
التفاسير العربية:
حَتَّىٰٓ إِذَا بَلَغَ مَغۡرِبَ ٱلشَّمۡسِ
وَجَدَهَا تَغۡرُبُ فِي عَيۡنٍ حَمِئَةٖ وَوَجَدَ عِندَهَا قَوۡمٗاۖ
قُلۡنَا يَٰذَا ٱلۡقَرۡنَيۡنِ إِمَّآ أَن تُعَذِّبَ وَإِمَّآ أَن
تَتَّخِذَ فِيهِمۡ حُسۡنٗا
यहाँ तक कि जब सूर्यास्त के
स्थान तक[1] पहुँचा, तो उसने पाया कि वह एक काली कीचड़ के स्रोत में डूब
रहा है और वहाँ एक जाति को पाया। हमने कहाः हे ज़ुलक़रनैन! तू उन्हें यातना
दे अथवा उनमें अच्छा व्यवहार बना।
1. अर्थात पश्चिम की अन्तिम सीमा तक।
التفاسير العربية:
قَالَ أَمَّا مَن ظَلَمَ فَسَوۡفَ نُعَذِّبُهُۥ
ثُمَّ يُرَدُّ إِلَىٰ رَبِّهِۦ فَيُعَذِّبُهُۥ عَذَابٗا نُّكۡرٗا
उसने कहाः जो अत्याचार करेगा, हम उसे दण्ड देंगे। फिर वह अपने पालनहार की ओर फेरा[1] जायेगा, तो वह उसे कड़ी यातना देगा।
1. अर्थात निधन के पश्चात् प्रलय के दिन।
التفاسير العربية:
وَأَمَّا مَنۡ ءَامَنَ وَعَمِلَ صَٰلِحٗا فَلَهُۥ
جَزَآءً ٱلۡحُسۡنَىٰۖ وَسَنَقُولُ لَهُۥ مِنۡ أَمۡرِنَا يُسۡرٗا
परन्तु जो ईमान लाये तथा सदाचार करे, तो उसी के लिए अच्छा प्रतिफल (बदला) है और हम उसे अपना सरल आदेश देंगे।
التفاسير العربية:
ثُمَّ أَتۡبَعَ سَبَبًا
फिर वह एक (अन्य) राह की ओर लगा।
التفاسير العربية:
حَتَّىٰٓ إِذَا بَلَغَ مَطۡلِعَ ٱلشَّمۡسِ
وَجَدَهَا تَطۡلُعُ عَلَىٰ قَوۡمٖ لَّمۡ نَجۡعَل لَّهُم مِّن دُونِهَا
سِتۡرٗا
यहाँ तक कि सूर्य़ोदय के स्थान तक पहुँचा। तो उसे पाया कि ऐसी जाति पर उदय हो रहा है, जिससे हमने उनके लिए कोई आड़ नहीं बनायी है।
التفاسير العربية:
كَذَٰلِكَۖ وَقَدۡ أَحَطۡنَا بِمَا لَدَيۡهِ خُبۡرٗا
उनकी दशा ऐसी ही थी और उस (ज़ुलक़रनैन) के पास जो कुछ था, हम उससे पूर्णतः सूचित हैं।
التفاسير العربية:
ثُمَّ أَتۡبَعَ سَبَبًا
फिर वह एक दूसरी राह की ओर लगा।
التفاسير العربية:
حَتَّىٰٓ إِذَا بَلَغَ بَيۡنَ ٱلسَّدَّيۡنِ وَجَدَ
مِن دُونِهِمَا قَوۡمٗا لَّا يَكَادُونَ يَفۡقَهُونَ قَوۡلٗا
यहाँ तक कि जब दो पर्वतों के बीच पहुँचा, तो उन दोनों की उस ओर एक जाति को पाया, जो नहीं समीप थी कि किसी बात को समझे[1]।
1. अर्थात अपनी भाषा के सिवा कोई भाषा नहीं समझती थी।
التفاسير العربية:
قَالُواْ يَٰذَا ٱلۡقَرۡنَيۡنِ إِنَّ يَأۡجُوجَ
وَمَأۡجُوجَ مُفۡسِدُونَ فِي ٱلۡأَرۡضِ فَهَلۡ نَجۡعَلُ لَكَ خَرۡجًا
عَلَىٰٓ أَن تَجۡعَلَ بَيۡنَنَا وَبَيۡنَهُمۡ سَدّٗا
उन्होंने कहाः हे ज़ुलक़रनैन!
वास्तव में, याजूज तथा माजूज उपद्रवी हैं, इस देश में। तो क्या हम
निर्धारित कर दें आपके लिए कुछ धन। इसलिए कि आप हमारे और उनके बीच कोई रोक
(बन्ध) बना दें?
التفاسير العربية:
قَالَ مَا مَكَّنِّي فِيهِ رَبِّي خَيۡرٞ
فَأَعِينُونِي بِقُوَّةٍ أَجۡعَلۡ بَيۡنَكُمۡ وَبَيۡنَهُمۡ رَدۡمًا
उसने कहाः जो कुछ मुझे मेरे
पालनहार ने प्रदान किया है, वह उत्तम है। तो तुम मेरी सहायता बल और शक्ति
से करो, मैं बना दूँगा तुम्हारे और उनके मध्य एक दृढ़ भीत।
التفاسير العربية:
ءَاتُونِي زُبَرَ ٱلۡحَدِيدِۖ حَتَّىٰٓ إِذَا
سَاوَىٰ بَيۡنَ ٱلصَّدَفَيۡنِ قَالَ ٱنفُخُواْۖ حَتَّىٰٓ إِذَا جَعَلَهُۥ
نَارٗا قَالَ ءَاتُونِيٓ أُفۡرِغۡ عَلَيۡهِ قِطۡرٗا
मुझे लोहे की चादरें ला दो और
जब दोनों पर्वतों के बीच दीवार तैयार कर दी, तो कहा कि आग दहकाओ, यहाँतक कि
जब उस दीवार को आग (के समान लाल) कर दिया, तो कहाः मेरे पास लाओ, इसपर
पिघला हुआ ताँबा उंडेल दूँ।
التفاسير العربية:
فَمَا ٱسۡطَٰعُوٓاْ أَن يَظۡهَرُوهُ وَمَا ٱسۡتَطَٰعُواْ لَهُۥ نَقۡبٗا
फिर वह उसपर चढ़ नहीं सकते थे और न उसमें कोई सेंध लगा सकते थे।
التفاسير العربية:
قَالَ هَٰذَا رَحۡمَةٞ مِّن رَّبِّيۖ فَإِذَا
جَآءَ وَعۡدُ رَبِّي جَعَلَهُۥ دَكَّآءَۖ وَكَانَ وَعۡدُ رَبِّي حَقّٗا
उस (ज़ुलक़रनैन) ने कहाः ये
मेरे पालनहार की दया है। फिर जब मेरे पालनहार का वचन[1] आयेगा, तो वह इसे
खण्ड-खण्ड कर देगा और मेरे पालनहार का वचन सत्य है।
1. वचन से अभिप्राय प्रलय के आने का समय है। जैसी
कि सह़ीह़ बुख़ारी ह़दीस संख्याः3346 आदि में आता है कि क़्यामत आने के
समीप याजूज-माजूज वह दीवार तोड़ कर निकलेंगे, और धरती में उपद्रव मचा
देंगे।
التفاسير العربية:
۞وَتَرَكۡنَا بَعۡضَهُمۡ يَوۡمَئِذٖ يَمُوجُ فِي
بَعۡضٖۖ وَنُفِخَ فِي ٱلصُّورِ فَجَمَعۡنَٰهُمۡ جَمۡعٗا
और हम छोड़ देंगे उस[1] दिन लोगों को एक-दूसरे में लहरें लेते हुए तथा निरसिंघा में फूंक दिया जायेगा और हम सबको एकत्र कर देंगे।
1. इस आयत में उस प्रलय के आने के समय की दशा का
चित्रण किया गया है जिसे ज़ुलक़रनैन ने सत्य वचन कहा है।
التفاسير العربية:
وَعَرَضۡنَا جَهَنَّمَ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡكَٰفِرِينَ عَرۡضًا
और हम सामने कर देंगे उस दिन नरक को काफ़िरों के समक्ष।
التفاسير العربية:
ٱلَّذِينَ كَانَتۡ أَعۡيُنُهُمۡ فِي غِطَآءٍ عَن
ذِكۡرِي وَكَانُواْ لَا يَسۡتَطِيعُونَ سَمۡعًا
जिनकी आँखें मेरी याद से पर्दे में थीं और कोई बात सुन नहीं सकते थे।
التفاسير العربية:
أَفَحَسِبَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوٓاْ أَن يَتَّخِذُواْ
عِبَادِي مِن دُونِيٓ أَوۡلِيَآءَۚ إِنَّآ أَعۡتَدۡنَا جَهَنَّمَ
لِلۡكَٰفِرِينَ نُزُلٗا
तो क्या उन्होंने सोचा है जो
काफ़िर हो गये कि वे बना लेंगे मेरे दासों को मेरे सिवा सहायक? वास्तव में,
हमने काफ़िरों के आतिथ्य के लिए नरक तैयार कर दी है।
التفاسير العربية:
قُلۡ هَلۡ نُنَبِّئُكُم بِٱلۡأَخۡسَرِينَ أَعۡمَٰلًا
आप कह दें कि क्या हम तुम्हें बता दें कि कौन अपने कर्मों में सबसे अधिक क्षतिग्रस्त हैं?
التفاسير العربية:
ٱلَّذِينَ ضَلَّ سَعۡيُهُمۡ فِي ٱلۡحَيَوٰةِ
ٱلدُّنۡيَا وَهُمۡ يَحۡسَبُونَ أَنَّهُمۡ يُحۡسِنُونَ صُنۡعًا
वह हैं, जिनके सांसारिक जीवन के सभी प्रयास व्यर्थ हो गये तथा वे समझते रहे कि वे अच्छे कर्म कर रहे हैं।
التفاسير العربية:
أُوْلَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ بِـَٔايَٰتِ
رَبِّهِمۡ وَلِقَآئِهِۦ فَحَبِطَتۡ أَعۡمَٰلُهُمۡ فَلَا نُقِيمُ لَهُمۡ
يَوۡمَ ٱلۡقِيَٰمَةِ وَزۡنٗا
यही वे लोग हैं, जिन्होंने नहीं
माना अपने पालनहार की आयतों तथा उससे मिलने को, अतः हम प्रलय के दिन उनका
कोई भार निर्धारित नहीं करेंगे[1]।
1. अर्थात उन का हमारे यहाँ कोई भार न होगा। ह़दीस
में आया है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहाः क़्यामत के दिन एक
भारी भरकम व्यक्ति आयेगा। मगर अल्लाह के सदन में उस का भार मच्छर के पंख के
बराबर भी नहीं होगा। फिर आप ने इसी आयत को पढ़ा। (सह़ीह़ बुख़ारीः 4729)
التفاسير العربية:
ذَٰلِكَ جَزَآؤُهُمۡ جَهَنَّمُ بِمَا كَفَرُواْ
وَٱتَّخَذُوٓاْ ءَايَٰتِي وَرُسُلِي هُزُوًا
उन्हीं का बदला नरक है, इस कारण कि उन्होंने कुफ़्र किया और मेरी आयतों और मेरे रसूलों का उपहास किया।
التفاسير العربية:
إِنَّ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ
ٱلصَّـٰلِحَٰتِ كَانَتۡ لَهُمۡ جَنَّـٰتُ ٱلۡفِرۡدَوۡسِ نُزُلًا
निश्चय जो ईमान लाये और सदाचार किये, उन्हीं के आतिथ्य के लिए फ़िरदौस[1] के बाग़ होंगे।
1. फ़िर्दौस, स्वर्ग के सर्वोच्च स्थान का नाम है। (सह़ीह़ बुख़ारीः7423)
التفاسير العربية:
خَٰلِدِينَ فِيهَا لَا يَبۡغُونَ عَنۡهَا حِوَلٗا
उसमें वे सदावासी होंगे, उसे छोड़कर जाना नहीं चाहेंगे।
التفاسير العربية:
قُل لَّوۡ كَانَ ٱلۡبَحۡرُ مِدَادٗا لِّكَلِمَٰتِ
رَبِّي لَنَفِدَ ٱلۡبَحۡرُ قَبۡلَ أَن تَنفَدَ كَلِمَٰتُ رَبِّي وَلَوۡ
جِئۡنَا بِمِثۡلِهِۦ مَدَدٗا
(हे नबी!) आप कह दें कि यदि
सागर मेरे पालनहार की बातें लिखने के लिए स्याही बन जायेँ, तो सागर समाप्त
हो जायें इससे पहले कि मेरे पालनहार की बातें समाप्त हों, यद्यपि उतनी ही
स्याही और ले आयें।
التفاسير العربية:
قُلۡ إِنَّمَآ أَنَا۠ بَشَرٞ مِّثۡلُكُمۡ
يُوحَىٰٓ إِلَيَّ أَنَّمَآ إِلَٰهُكُمۡ إِلَٰهٞ وَٰحِدٞۖ فَمَن كَانَ
يَرۡجُواْ لِقَآءَ رَبِّهِۦ فَلۡيَعۡمَلۡ عَمَلٗا صَٰلِحٗا وَلَا يُشۡرِكۡ
بِعِبَادَةِ رَبِّهِۦٓ أَحَدَۢا
आप कह देः मैंतो तुम जैसा एक
मनुष्य पुरुष हूँ, मेरी ओर प्रकाशना (वह़्यी) की जाती है कि तुम्हारा पूज्य
बस एक ही पूज्य है। अतः, जो अपने पालनहार से मिलने की आशा रखता हो, उसे
चाहिए कि सदाचार करे और साझी न बनाये अपने पालनहार की इबादत (वंदना) में
किसी को।
التفاسير العربية:
ترجمة معاني سورة:
الكهف
ترجمة معاني القرآن الكريم - الترجمة الهندية -
ترجمة معاني القرآن الكريم إلى اللغة الهندية، ترجمها عزيز الحق العمري.
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